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BIMSTEC: उपक्षेत्रीय सहयोग का उभरता केंद्र, भारत के एक्ट ईस्ट विज़न का स्तंभ

भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच स्थित बंगाल की खाड़ी विश्व के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र न केवल व्यापार, ऊर्जा, समुद्री सुरक्षा और कनेक्टिविटी का केंद्र है, बल्कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का भी प्रमुख मैदान बन चुका है। ऐसे महत्त्वपूर्ण भू-स्थान में 1997 में BIMSTEC का गठन हुआ—एक ऐसा मंच जो दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला सेतु है।

आज BIMSTEC सात देशों का ऐसा समूह है जो सांस्कृतिक रूप से जुड़ा, आर्थिक रूप से संभावनाओं से भरपूर और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह निबंध BIMSTEC के विकास, उपलब्धियों, चुनौतियों और क्षेत्रीय राजनीति में उसकी बदलती भूमिका का विश्लेषण करता है।

परिचय: बंगाल की खाड़ी—भविष्य का सामरिक और आर्थिक हृदय

21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जाता है। यह सदी व्यापार मार्गों, सामरिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक शक्ति के पूर्व की ओर स्थानांतरित होने की है। बंगाल की खाड़ी इस परिवर्तन के केंद्र में है।

  • विश्व के लिए उभरती SLOCs (Sea Lines of Communication)
  • भारत, थाईलैंड और दक्षिण-पूर्व एशिया की संपर्क रेखा
  • ऊर्जा, नौवहन, मत्स्य और पर्यटन की विशाल संभावनाएँ

इस भू-रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए BIMSTEC आज दुनिया के ध्यान का केंद्र बनता जा रहा है।

BIMSTEC की स्थापना और विकास

स्थापना:

 1997

सदस्य देश:

  1. भारत
  2. बांग्लादेश
  3. भूटान
  4. नेपाल
  5. श्रीलंका
  6. म्यांमार
  7. थाईलैंड

यह संगठन SAARC और ASEAN के बीच एक “पुल” (Bridge) के रूप में विकसित हुआ। SAARC की निष्क्रियता और भारत-पाक तनाव से उपजी चुनौतियों के बीच BIMSTEC ने उपक्षेत्रीय सहयोग को नई दिशा दी।

BIMSTEC की उपलब्धियाँ

1. उपक्षेत्रीय सहयोग का प्रभावी मॉडल

SAARC की तुलना में BIMSTEC अधिक कार्य-उन्मुख और राजनीतिक तनावों से कम प्रभावित है। यहाँ कोई द्वंद्वात्मक संबंध (जैसे भारत-पाक) नहीं है, जिससे काम तेजी से आगे बढ़ता है।

2. सुरक्षा और समुद्री सहयोग

  • BIMSTEC Coastal Shipping Agreement
  • समुद्री अपराध रोकथाम
  • मानव तस्करी और मादक पदार्थ नियंत्रण
  • आतंकवाद-विरोधी अभ्यास (“MILEX”)

बंगाल की खाड़ी समुद्री सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है, और इस क्षेत्र में BIMSTEC ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।

3. ऊर्जा और कनेक्टिविटी

  • ग्रिड इंटरकनेक्शन
  • ट्रांसनेशनल हाईवे
  • पोर्ट-टू-पोर्ट कनेक्टिविटी
  • Kaladan Multi-Modal Project
  • India-Myanmar-Thailand Highway

ये परियोजनाएँ BIMSTEC को एक वास्तविक आर्थिक और कनेक्टिविटी कॉरिडोर में बदल रही हैं।

4. व्यापार और आर्थिक सहयोग

BIMSTEC FTA पर बातचीत जारी है, जो लागू होने पर बंगाल की खाड़ी क्षेत्र एकीकृत बाज़ार में बदल सकता है।

यह क्षेत्र लगभग 1.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 1.6 बिलियन जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।

5. आपदा प्रबंधन और जलवायु सहयोग

बंगाल की खाड़ी चक्रवातों और जलवायु आपदाओं से प्रभावित क्षेत्र है। BIMSTEC Disaster Management Exercise क्षेत्रीय क्षमता को मजबूत करता है।

भारत और BIMSTEC: एक सामरिक संधि

भारत की Act East Policy और Neighbourhood First Policy का केंद्रीय स्तंभ BIMSTEC है।

भारत के लिए महत्व

  • पूर्वोत्तर भारत की आर्थिक एकीकरण का माध्यम
  • चीन के BRI प्रभाव का संतुलन
  • सुरक्षा और आतंकवाद विरोध में सहयोग
  • म्यांमार के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया तक पहुंच
  • समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक विज़न

भारत BIMSTEC को SAARC के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि पूरक मंच के रूप में देखता है, जहाँ उपक्षेत्रीय सहयोग अधिक व्यावहारिक रूप में संभव है।

क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति में BIMSTEC की भूमिका

1. इंडो-पैसिफिक आर्किटेक्चर का केंद्र

BIMSTEC सदस्य देश चीन, अमेरिका, जापान और ASEAN की प्रतिस्पर्धा के मध्य स्थित हैं। इससे BIMSTEC की सामरिक भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।

2. चीन के उभार का संतुलन

म्यांमार और श्रीलंका जैसे देशों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। BIMSTEC सहयोग भारत के लिए इस प्रभाव को संतुलित करने का माध्यम है।

3. ASEAN का प्राकृतिक विस्तार

BIMSTEC को ASEAN-India सहयोग का ‘उपक्षेत्रीय संस्करण’ माना जा रहा है। यह दो प्रमुख क्षेत्रीय संरचनाओं को जोड़ने का कार्य करता है।

BIMSTEC की चुनौतियाँ

1. म्यांमार की राजनीतिक अस्थिरता

सैन्य शासन और आंतरिक संघर्ष BIMSTEC के कई परियोजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।

2. आर्थिक असमानता और भौगोलिक बाधाएँ

भूटान-नेपाल जैसे पर्वतीय देशों के लिए कनेक्टिविटी परियोजनाएँ जटिल हैं।

3. संस्थागत कमजोरी

Secretariat के पास सीमित वित्तीय और तकनीकी साधन हैं, जिससे बड़े स्तर पर कार्यक्रम लागू करना कठिन होता है।

4. धीमी प्रगति

हालाँकि मंशा मजबूत है, परंतु

  • FTA,
  • ऊर्जा ग्रिड,
  • हाईवे परियोजनाएँ
    धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं।

5. बाहरी प्रभाव

चीन, अमेरिका और ASEAN की नीतियाँ भी BIMSTEC देशों के निर्णयों को प्रभावित करती हैं, जिससे एक सामूहिक रणनीति बनाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

BIMSTEC का भविष्य: संभावनाओं का नया केंद्र

1. बंगाल की खाड़ी को “Blue Economy Hub” बनाना

मत्स्य पालन, समुद्री ऊर्जा, पर्यटन और गहरे समुद्री संसाधनों के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।

2. कनेक्टिविटी को वास्तविकता में बदलना

India–Myanmar–Thailand Highway और Trilateral Motor Vehicle Agreement भविष्य का गेम-चेंजर बन सकते हैं।

3. डिजिटल और फिनटेक सहयोग

फिनटेक, डिजिटल भुगतान, साइबर सुरक्षा, ई-Governance के क्षेत्र में BIMSTEC एक साझा प्लेटफॉर्म बना सकता है।

4. आपदा प्रबंधन में वैश्विक मॉडल

चक्रवात, बाढ़ और जलवायु संकट इस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। संयुक्त प्रतिक्रिया तंत्र इसे वैश्विक उदाहरण बना सकता है।

निष्कर्ष

BIMSTEC एशिया के बदलते सामरिक और आर्थिक परिदृश्य का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। यह न केवल दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु है, बल्कि भारत के क्षेत्रीय सहयोग, समुद्री सुरक्षा और कनेक्टिविटी लक्ष्यों का प्रमुख स्तंभ भी है।

चुनौतियाँ अभी भी हैं—राजनीतिक अस्थिरता, धीमी प्रगति और संस्थागत कमज़ोरियाँ—लेकिन संभावनाएँ कहीं अधिक व्यापक हैं।

21वीं सदी में जब क्षेत्रीयता (Regionalism), कनेक्टिविटी और समुद्री शक्ति का महत्व बढ़ रहा है, BIMSTEC एक ऐसे मंच के रूप में उभर रहा है जो न केवल आर्थिक समृद्धि का मार्ग खोल सकता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और संतुलन की आधारशिला भी बन सकता है।

भारत के लिए BIMSTEC केवल एक संगठन नहीं है—यह Act East और Neighbourhood First का सम्मिलित स्वरूप, और एक स्थिर, सुरक्षित तथा समृद्ध इंडो-पैसिफिक का आधार है।


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