Vindication of the Rights of Woman (1792) मुख्य बिंदु
• नारीवाद के शुरुआती और अग्रणी ग्रंथों में से एक है। इसमें मैरी वोल्स्टनक्राफ्ट ने उस समय की शिक्षा व्यवस्था की आलोचना की, जो जानबूझकर महिलाओं को सतही, निर्भर और अक्षम बनाए रखने के लिए तैयार की गई थी। उन्होंने तर्क दिया कि यदि लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा के अवसर दिए जाएँ, तो वे न केवल बेहतर पत्नी और माँ बनेंगी, बल्कि विभिन्न पेशों में सक्षम और योग्य कार्यकर्ता भी होंगी।
• महिलाओं की प्रकृति और शिक्षा का महत्व
वोल्स्टनक्राफ्ट अपनी किताब की शुरुआत महिलाओं की प्रकृति और इस गलत धारणा से करती हैं कि महिलाएँ जन्म से ही पुरुषों से कम होती हैं।
• वह कहती हैं कि महिलाओं में तर्क या समझ की कमी जन्म से नहीं होती, बल्कि समाज उन्हें ऐसा बना देता है। इसका कारण है कि महिलाओं को अच्छी शिक्षा और बौद्धिक अवसर नहीं दिए जाते।अगर महिलाओं को भी पुरुषों जैसी शिक्षा और अवसर मिलें, तो उनका सोचने और समझने का स्तर भी उतना ही मजबूत होगा।
• वह पुराने समय की उस सोच का विरोध करती हैं जिसमें महिलाओं की शिक्षा का मतलब था खूबसूरत बनना, अच्छे तौर-तरीके सीखना और ऐसे गुण अपनाना जो उन्हें पुरुषों को पसंद आएं।
• इसके बजाय, वह चाहती थीं कि शिक्षा लड़के और लड़कियों दोनों में तर्क, सोचने की शक्ति और अच्छे गुण विकसित करे, ताकि महिलाएँ भी स्वतंत्र रूप से सोच सकें और समाज में योगदान दे सकें।
• पितृसत्तात्मक (पुरुष-प्रधान) समाज की कमियाँ
वोल्स्टनक्राफ्ट का सबसे बड़ा हमला उस पुरुष-प्रधान समाज पर है, जो महिलाओं को दबाकर रखता है। वह कहती हैं कि महिलाओं को सजावट की वस्तु बना दिया गया है उनका काम बस पुरुषों को खुश करना है, न कि कोई सार्थक काम करना। उनके अनुसार, शादी भी कई बार महिलाओं के लिए एक ऐसा बंधन बन जाती है जिसमें उन्हें पति के आदेश मानने होते हैं।
• महिलाओं को यह सिखाया जाता है कि उनकी कीमत उनके रूप-रंग और पुरुषों को खुश करने की क्षमता से तय होती है।
• इससे महिलाएँ खुद भी अपनी आज़ादी खो देती हैं और अपनी असली क्षमता को पहचान नहीं पातीं। उनका यह विचार उस समय की परंपरागत सोच के बिलकुल खिलाफ था, क्योंकि उस समय समाज पूरी तरह पुरुष-प्रधान था।
• सद्गुण (गुण), तर्क और नैतिक समानता
वोल्स्टनक्राफ्ट के अनुसार असली गुण वही है जिसमें इंसान तर्क से सोचकर सही काम करे।
वह कहती हैं कि यह क्षमता केवल पुरुषों में नहीं, महिलाओं में भी होती है लेकिन महिलाओं को इसे विकसित करने का मौका ही नहीं दिया जाता। वह चाहती थीं कि महिलाओं को ऐसी शिक्षा मिले जो उनके दिमाग और नैतिक सोच को मज़बूत बनाए, न कि सिर्फ उन्हें सुंदर दिखने या अच्छे व्यवहार सिखाने तक सीमित रहे।
• वह इस सोच का विरोध करती हैं कि महिलाओं का ध्यान केवल सुंदरता और आकर्षण पर होना चाहिए। उनके अनुसार, जब समाज सुंदरता को तर्क और सोच से ज्यादा महत्व देता है, तो वह नैतिक रूप से आगे नहीं बढ़ सकता। खासतौर पर वह इस बात की आलोचना करती हैं कि लड़कियों को बचपन से ही निष्क्रिय, दूसरों पर निर्भर और सिर्फ पुरुषों का ध्यान खींचने वाली बनाई जाती हैं।
• सामाजिक और राजनीतिक अधिकार
वह सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों की भी बात करती हैं। उनके अनुसार, महिलाओं को पुरुषों की तरह राजनीति में भाग लेने, संपत्ति रखने और घर के बाहर सार्थक काम करने का अधिकार होना चाहिए।
उनका यह विचार उस समय बेहद नया और साहसी था। वह चाहती थीं कि महिलाएँ भी देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में बराबरी से भाग लें।
• विचारों में प्रबोधन काल (Enlightenment) का असर
उनकी किताब A Vindication of the Rights of Woman पर प्रबोधन काल के विचारों का गहरा असर है। प्रबोधन काल में यह विश्वास था कि इंसान अपनी बुद्धि से समाज को बेहतर बना सकता है। वोल्स्टनक्राफ्ट ने भी यही विचार अपनाया और कहा कि महिलाओं में भी पुरुषों जितनी बुद्धि है।
• यह सोच उस समय बहुत क्रांतिकारी थी, क्योंकि लोग मानते थे कि महिलाएँ भावुक और कम सोचने वाली होती हैं। उन्होंने प्रबोधन के सिद्धांतों को आगे बढ़ाकर कहा कि असली प्रगति तभी होगी जब पुरुष और महिलाएँ दोनों को बराबर मौका मिलेगा।
• रूसो की आलोचना
वह दार्शनिक जीन-जैक रूसो के विचारों से असहमत थीं। रूसो ने अपनी किताब Emile में कहा था कि महिलाओं की शिक्षा उन्हें सिर्फ अच्छी पत्नी और माँ बनने के लिए तैयार करे।
• वोल्स्टनक्राफ्ट का मानना था कि यह सोच महिलाओं को सिर्फ घर तक सीमित कर देती है और उन्हें बराबरी का इंसान नहीं मानती।
Mary Wollstonecraft
• जन्म 27 अप्रैल 1759 को लंदन में एक किसान परिवार में हुआ। युवावस्था में उन्होंने शिक्षिका और governess के रूप में काम किया, और इन्हीं अनुभवों से प्रेरित होकर 1787 में Thoughts on the Education of Daughters लिखी।
• 1788 में उन्होंने लंदन के प्रकाशक जोसेफ जॉनसन के लिए अनुवादक के रूप में कार्य करना शुरू किया, जिसने उनकी कई रचनाएँ प्रकाशित कीं, जिनमें उपन्यास Mary: A Fiction भी शामिल था। उनका सबसे महत्वपूर्ण और परिपक्व कार्य 1792 में प्रकाशित A Vindication of the Rights of Woman था, जिसमें उन्होंने स्त्री और पुरुष को समान रूप से शिक्षित करने का आह्वान किया।
प्रमुख रचनाओं में
• Letters Written During a Short Residence in Sweden, Norway, and Denmark (1796) और मरणोपरांत प्रकाशित अधूरा उपन्यास Maria o, The Wrongs of Woman (1798) शामिल हैं, जो A Vindication of the Rights of Woman का साहित्यिक विस्तार माना जाता है।
प्रासंगिकता
• A Vindication of the Rights of Woman दो सौ साल से भी पहले लिखी गई थी, लेकिन इसके विचार आज भी आधुनिक नारीवाद में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
• वोल्स्टनक्राफ्ट का यह ज़ोर देना कि पुरुष और महिलाएँ बुद्धि और नैतिक क्षमता में बराबर हैं, बाद के नारीवादी आंदोलनों की नींव बना।इन आंदोलनों ने महिलाओं के लिए शिक्षा, राजनीति और नौकरी में बराबरी के अधिकार की माँग की।
• महिलाओं की शिक्षा और समाज में सक्रिय भागीदारी पर उनका तर्क आगे चलकर 19वीं और 20वीं सदी में लैंगिक समानता के संघर्ष में दिखाई दिया।
• उन्होंने जिस तरह पितृसत्तात्मक (पुरुष-प्रधान) व्यवस्था और उसके महिलाओं की ज़िंदगी पर पड़ने वाले नकारात्मक असर की आलोचना की, वह आज भी नारीवादी चिंतकों और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है।
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