क्षेत्रीय एकीकरण आधुनिक वैश्विक व्यवस्था की एक प्रमुख प्रवृत्ति है। वैश्वीकरण की चुनौतियों और अवसरों के बीच विभिन्न क्षेत्रीय संगठन आर्थिक सुरक्षा, सामूहिक बाजार निर्माण और कूटनीतिक सहयोग को नई दिशा दे रहे हैं। दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र में MERCOSUR (Southern Common Market) ऐसा ही एक महत्वपूर्ण समूह है जिसने अपनी स्थापना के बाद महाद्वीप की राजनीतिक-आर्थिक दिशा को प्रभावित किया है। यह न केवल व्यापारिक एकीकरण का प्रयास है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक और रणनीतिक साझेदारी की परिकल्पना प्रस्तुत करता है।
उत्पत्ति और विकास
MERCOSUR की स्थापना 1991 में Asunción Treaty के तहत हुई। इसका मूल उद्देश्य दक्षिण अमेरिकी देशों के बीच एक ऐसा कॉमन मार्केट बनाना था जिसमें वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी और लोगों का मुक्त प्रवाह हो सके। ब्राज़ील, अर्जेंटीना, उरुग्वे और पैराग्वे इसके संस्थापक सदस्य रहे। बाद में वेनेजुएला को शामिल किया गया पर राजनीतिक परिस्थितियों के कारण 2016 में उसे निलंबित कर दिया गया। चिली, बोलीविया, पेरू, कोलंबिया और इक्वाडोर एसोसिएट सदस्य हैं।
MERCOSUR का निर्माण लैटिन अमेरिका में दशकों तक चले राजनीतिक तनाव, सैन्य शासन और आर्थिक अस्थिरता का उत्तर था। 1980 के दशक में लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसके साथ क्षेत्रीय आर्थिक एकता की आवश्यकता महसूस की गई। ब्राज़ील और अर्जेंटीना, जो ऐतिहासिक रूप से प्रतिद्वंद्वी रहे थे, ने आपसी सहयोग के नए युग की शुरुआत की और MERCOSUR इसका परिणाम बना।
MERCOSUR का महत्व
1. एक विशाल आर्थिक बाजार
लगभग 30 करोड़ से अधिक आबादी और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के साथ MERCOSUR दुनिया के प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में से एक है। कृषि उत्पादों, खनिज संपदा और औद्योगिक वस्तुओं में इसकी क्षमता इसे वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बनाती है।
2. राजनीतिक स्थिरता का माध्यम
MERCOSUR केवल एक आर्थिक संगठन नहीं बल्कि एक राजनीतिक मंच भी है। लोकतंत्र, मानवाधिकार और क्षेत्रीय शांति को इसका ढाँचा मजबूती देता है। वेनेजुएला का निलंबन इस बात का संकेत है कि समूह राजनीतिक मूल्यों पर समझौता नहीं करता।
3. दक्षिण अमेरिका की सामूहिक आवाज़
वैश्विक मंचों—WTO, UNFCCC, G20 आदि—में MERCOSUR सदस्य देशों को सामूहिक रूप से मोलभाव की शक्ति देता है। यह बड़े आर्थिक ब्लॉकों जैसे EU और NAFTA के सामने एक संतुलनकारी शक्ति का कार्य करता है।
4. आंतरिक व्यापार और कनेक्टिविटी
टैरिफ में कमी, साझा औद्योगिक नीति और परिवहन-लॉजिस्टिक्स सहयोग ने क्षेत्रीय आपसी व्यापार को बढ़ाया है। ब्राज़ील-अर्जेंटीना ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इसका प्रमुख उदाहरण है।
चुनौतियाँ और सीमाएँ
1. आर्थिक असमानता
ब्राज़ील और अर्जेंटीना आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत शक्तिशाली हैं जबकि उरुग्वे व पैराग्वे छोटे अर्थतंत्र हैं। निर्णय-निर्माण में असंतुलन के कारण समूह में कभी-कभी असंतोष पैदा होता है।
2. राजनीतिक अस्थिरता
दक्षिण अमेरिका की राजनीति अक्सर वैचारिक ध्रुवीकरण से प्रभावित होती है। वामपंथी और दक्षिणपंथी सरकारों के बीच नीतियों का परिवर्तन क्षेत्रीय सहयोग को अस्थिर बनाता है।
3. EU–MERCOSUR Trade Agreement की देरी
पर्यावरण, कृषि सब्सिडी और श्रम मानकों पर असहमति के कारण यह महत्वपूर्ण व्यापार समझौता वर्षों से अटका हुआ है। इससे MERCOSUR की वैश्विक प्रतिस्पर्धा सीमित हुई है।
4. व्यापारिक संरक्षणवाद
कई बार सदस्य देश आंतरिक उद्योगों की सुरक्षा के लिए संरक्षणवादी नीतियाँ अपनाते हैं, जिससे मुक्त व्यापार का उद्देश्य कमजोर पड़ता है।
भारत–MERCOSUR संबंध
भारत और MERCOSUR के संबंध पिछले दो दशकों में काफी मजबूत हुए हैं। 2009 में दोनों के बीच Preferential Trade Agreement (PTA) लागू हुआ, जिसमें सैकड़ों वस्तुओं पर पारस्परिक टैरिफ छूट है।
भारत मुख्यतः दवाइयाँ, ऑर्गेनिक केमिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुएँ निर्यात करता है, जबकि MERCOSUR से सोयाबीन तेल, खनिज और चर्म उत्पाद आयात करता है।
भारत के लिए MERCOSUR तीन दृष्टियों से महत्वपूर्ण है—
- ऊर्जा और खाद्यान्न सुरक्षा
- फार्मा उद्योग के लिए बड़ा बाजार
- ग्लोबल साउथ में रणनीतिक साझेदारी
MERCOSUR भारत के “Act Latin America” दृष्टिकोण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
MERCOSUR की प्रासंगिकता: वैश्विक परिप्रेक्ष्य
आज जब विश्व बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है, क्षेत्रीय संगठनों का महत्व और बढ़ गया है। अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा, यूरोपीय संघ की चुनौतियों और वैश्विक सप्लाई चेन के पुनर्गठन के बीच दक्षिण अमेरिका अपनी पहचान मजबूत करना चाहता है। MERCOSUR इसी रणनीतिक परिवर्तन का आधार है।
जलवायु परिवर्तन, वैश्विक खाद्य संकट और ऊर्जा परिवर्तन जैसे मुद्दों पर दक्षिण अमेरिका व्यापक संभावनाओं से भरा है—अमेज़न वन, लिथियम ट्राएंगल, कृषि निर्यात क्षमता आदि इसके उदाहरण हैं। MERCOSUR इन संसाधनों को सामूहिक रूप से उपयोग करने का एक मंच बन सकता है।
आगे की राह (Way Forward)
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और टेक सहयोग
ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान और स्टार्ट-अप सहयोग से नए अवसर खुल सकते हैं। - ग्रीन ट्रांजिशन की साझेदारी
नवीकरणीय ऊर्जा, जैव ईंधन और इको-फ्रेंडली कृषि MERCOSUR की विशेष ताकत है। - अंतर-क्षेत्रीय व्यापार बढ़ाना
एशिया—विशेषकर भारत, ASEAN और चीन—के साथ व्यापार बढ़ाकर MERCOSUR वैश्विक सप्लाई चेन में अहम स्थान बना सकता है। - संस्थागत सुधार
निर्णय-निर्माण को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाना आवश्यक है।
निष्कर्ष
MERCOSUR दक्षिण अमेरिकी देशों द्वारा क्षेत्रीय सहयोग का एक साहसिक प्रयास है। आर्थिक एकीकरण से लेकर राजनीतिक स्थिरता तक, इसने महाद्वीप पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। यद्यपि आंतरिक मतभेद, संरक्षणवाद और राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारक इसकी क्षमता को सीमित करते हैं, फिर भी यह संगठन वैश्विक व्यवस्था में उभरते दक्षिण की आवाज़ को मजबूत करता है।
भारत जैसे देशों के लिए MERCOSUR न केवल व्यापारिक अवसरों का स्रोत है बल्कि बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में रणनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी बनता जा रहा है।
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