in

NITI आयोग की मानव पूंजी क्रांति

NITI Aayog’s human capital revolution (The Pioneer)

केवल GDP के आंकड़े या आधारभूत संरचना की उपलब्धियों से प्रगति को नहीं मापा जा सकता, बल्कि यह इस पर निर्भर करता है कि कोई राष्ट्र अपने लोगों को कैसे पोषित करता है। मानव पूंजी हमारी शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और उत्पादकता केवल आर्थिक संपत्ति नहीं बल्कि एक नैतिक आवश्यकता है।

पिछले दस वर्षों में, नीति आयोग ने प्रधानमंत्री की सोच और मार्गदर्शन में, भारत के सबसे बड़े संसाधन इसकी युवा आबादी में निवेश करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाई है। भारत की 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम है, जो देश के लिए ‘जनसांख्यिकीय लाभ’ प्रस्तुत करती है। इस क्षमता का सदुपयोग करना और युवाओं की ऊर्जा को आर्थिक विकास और राष्ट्रीय प्रगति की दिशा में लगाना ही असली चुनौती है।

नीति आयोग का विकास

नीति आयोग सरकार का एक सलाहकार निकाय (थिंक-टैंक) है। इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के तहत पूर्ववर्ती योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया है।

  • यहन तो संवैधानिक और न ही सांविधिक निकाय है।

इसे मुख्य रूप से दो तरह के काम सौंपे गए हैं:

  1. देश मेंसतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाने एवं उन्हें हासिल करने की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों की निगरानी करना; तथा
  2. राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीचप्रतिस्पर्धात्मक और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।

नीति आयोग एक ‘विज़नरी कैटेलिस्ट’ (दूरदर्शी उत्प्रेरक) के रूप में उभरा है, जिसने केवल आज की प्रगति नहीं बल्कि आने वाले कल की समृद्धि के लिए रोडमैप तैयार किया है। पिछले दशक में यह मात्र ‘थिंक टैंक’ से बदलकर सुधार इंजन और कार्यान्वयन भागीदार बन गया है। इसने डेटा, सहयोग और मानव-केंद्रित डिज़ाइन के आधार पर नीतिनिर्माण को नया रूप दिया है।

इसकी सबसे बड़ी ताकत केवल योजना बनाना नहीं बल्कि उसे लागू करना है। ‘नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020’ इसका उदाहरण है, जिसने शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया।

नीति आयोग की संरचना

  • अध्यक्ष: भारत काप्रधान मंत्री।

सभी राज्यों और विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री (CMs);

  • अन्य केंद्र शासित प्रदेशों केउपराज्यपाल;
  • नीति आयोग के पदेन सदस्य(इनमें प्रधान मंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम 4 सदस्य शामिल हैं);
  • नीति आयोग काउपाध्यक्ष (प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त);
  • नीति आयोग केपूर्णकालिक सदस्य;
  • विशेष आमंत्रित सदस्य(प्रधान मंत्री द्वारा नामित प्रासंगिक विषय क्षेत्र के विशेषज्ञ, एक्सपर्ट और संबंधित क्षेत्र के प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं)।

क्षेत्रीय परिषदें: ये एक निर्दिष्ट अवधि के लिए गठित की जाती हैं। इनका काम एक से अधिक राज्य या किसी एक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली विशिष्ट समस्याओं और आपात स्थितियों या आकस्मिकताओं का समाधान करना है।

  • इनकी बैठकेंप्रधान मंत्री द्वारा आयोजित की जाती हैं। इनमें संबंधित क्षेत्र के राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO): इस पद पर भारत सरकार के सचिव रैंक के अधिकारी को प्रधान मंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है। CEO को एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है।

  • मुख्य उद्देश्य:
    • ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाओं का निर्माण करना और उन कमजोर वर्गों पर विशेष ध्यान देना, जिन्हें आर्थिक प्रगति से पर्याप्त लाभ न मिलने का जोखिम रहता है।
    • आर्थिक रणनीति एवं नीति निर्माण में राष्ट्रीय सुरक्षा हितों का समावेश करना।
    • ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता को समर्थन देने वाली प्रणाली का विकास करना।
    • विभिन्न क्षेत्रकों और विभागों के बीच मुद्दों के समाधान के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करना।

अन्य विशेषताएं:

  • इसेविकास निगरानी एवं मूल्यांकन संगठन (Development Monitoring and Evaluation Organisation: DMEO), अटल नवाचार मिशन (AIM) और राष्ट्रीय श्रम अर्थशास्त्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (National Institute of Labour Economics Research and Development: NILERD) जैसी संलग्न एवं स्वायत्त निकायों द्वारा समर्थन प्राप्त है।
  • इसकीगतिविधियों को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: नीति और कार्यक्रम फ्रेमवर्क; सहकारी संघवाद; निगरानी एवं मूल्यांकन; तथा थिंक-टैंक, ज्ञान एवं नवाचार केंद्र।

नीति आयोग के मार्गदर्शक सिद्धांत

अपने विभिन्न कार्यों को करने में, नीति आयोग निम्नलिखित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है:

  • अंत्योदय (Antyodaya): पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘अंत्योदय‘ के विचार के अनुसार, निर्धनों, हाशिए पर रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सेवा और उत्थान को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • समावेश (Inclusion): लिंग, क्षेत्र, धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर पहचान-आधारित असमानताओं को दूर करते हुए, कमजोर और हाशिए पर रहने वाले वर्गों को सशक्त बनाना चाहिए।
  • ग्राम (Village): सभी गांवों को विकास प्रक्रिया में एकीकृत करना, तथा हमारे लोकाचार, संस्कृति और जीविका के आधार की जीवंतता और ऊर्जा को बनाए रखना।
  • जनसांख्यिक लाभांश (Demographic Dividend): शिक्षा और कौशल के माध्यम से उनके विकास, और उत्पादक आजीविका के अवसरों के माध्यम से उनके सशक्तिकरण पर फोकस करना, तथा हमारी सबसे बड़ी संपत्ति – भारत के कार्यशील जनसँख्या का उपयोग करना।
  • जनभागीदारी (People’s Participation): विकास प्रक्रिया को जन-संचालित प्रक्रिया में परिवर्तित करना तथा सजग और सहभागी नागरिकता को सुशासन का संचालक बनाना।
  • सुशासन (Governance): पारदर्शी, जवाबदेह, सक्रिय और सार्थक गवर्नेंस को प्रोत्साहित करना।
  • स्थायित्व (Sustainability): पर्यावरण का सम्मान करने वाली हमारी प्राचीन परंपरा को बनाए रखते हुए, अपनी योजना और विकास प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना।

नीति आयोग के सात स्तंभ

नीति आयोग का समग्र कार्यप्रणाली प्रभावी शासन के निम्नलिखित सात स्तंभों पर आधारित है:

नीति आयोग के सुधारात्मक पहलें

श्रम और स्वास्थ्य सुधार

नीति आयोग ने श्रम सुधारों का समर्थन किया जिससे श्रम कानून सरल बने, रोजगार लचीलापन बढ़ा, और कार्यस्थलों पर सुरक्षा व समान अवसर सुनिश्चित हुए। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी नीति आयोग ने आरोग्य भारत और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रम शुरू किए, जिससे स्वास्थ्य बीमा, पोषण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सुधार हुआ।

कोविड19 और लचीलापन

कोविड-19 महामारी के दौरान आयोग ने संकट प्रबंधन और पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई। डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, ई-शिक्षा, और ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार जैसे उपायों से यह साबित किया कि नीति आयोग केवल नीतियाँ बनाने वाला निकाय नहीं बल्कि लचीलापन निर्माण करने वाला संस्थान है।

वैश्विक मान्यता और SDGs

संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक जैसी वैश्विक संस्थाओं ने नीति आयोग के कार्यों की सराहना की है। इसकी नीतियाँ SDGs (सतत विकास लक्ष्य) के अनुरूप जैसे सतत, समावेशी और भविष्य-तैयार विकास की दिशा में हैं।

नीति आयोग की उपलब्धियां

  • सहकारी संघवाद में वृद्धि: नीति आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य किया है। इससे क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए सहयोग को बढ़ावा मिला है।
    • उदाहरण के लिए- नीति आयोग का ‘टीम इंडिया हब’ राष्ट्रीय विकास एजेंडा की दिशा में काम करने हेतु सभी राज्यों को शामिल करता है।
    • एक अन्य उदाहरण आकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) है। इसका उद्देश्य देश भर के 112 सबसे पिछड़े जिलों का तेजी से और अधिक प्रभावी विकास करना है। नीति आयोग जिला स्तर पर प्रगति को तेज करने के लिए संबंधित मंत्रालयों और विभिन्न विकास भागीदारों के साथ मिलकर काम करता है।
  • प्रतिस्पर्धी संघवाद को मजबूत किया: आयोग ने डेटा-संचालित और पारदर्शी सूचकांक एवं रैंकिंग प्रणालियों के माध्यम से राज्यों के बीच प्रभावी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है।
    • उदाहरण के लिए- राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक आदि।
  • गवर्नेंस और नीतिगत सलाह: नीति आयोग ने एक थिंक टैंक के रूप में दीर्घकालिक रणनीतिक नीतियों पर सलाह दी है। साथ ही, पूर्ववर्ती योजना आयोग की वित्तीय आवंटन केंद्रित नीति से हटकर विकेंद्रीकृत शासन दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।
    • उदाहरण के लिए- इसने बेहतर गवर्नेंस और नीतिगत कार्यान्वयन के लिए स्टेट इंस्टीटूशन्स ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (State Institutions of Transformation: SITs) की स्थापना में कई राज्यों की सहायता की है।
  • नवाचार, उद्यमशीलता और डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा दिया: नीति आयोग ने नवाचार, उद्यमिता और डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक पहलें शुरू की हैं। जैसे- अटल इनोवेशन मिशन (अटल टिंकरिंग लैब्स, अटल इन्क्यूबेशन सेंटर आदि), नॉलेज एंड इनोवेशन हब, नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP), डिजिटल भुगतान के लिए रोडमैप, आदि।
  • क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय सामाजिक हस्तक्षेप: उदाहरण के लिए- उत्तर पूर्व के लिए नीति फोरम, सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन कैपिटल इन एजुकेशन (SATH-E) पहल, पोषण अभियान, राज्य स्वास्थ्य सूचकांक, स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक आदि।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs) की निगरानी: भारत में सतत विकास लक्ष्यों की निगरानी और उन्हें अपनाने की जिम्मेदारी निभाते हुए, नीति आयोग देश की विकास योजनाओं को इन लक्ष्यों के अनुरूप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए- SDG इंडिया इंडेक्स।

निष्कर्ष

  • असली विकास केवल अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि लोगों में निवेश करने से होता है।
  • मानव पूंजी; शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल और उत्पादकता ही भारत की असली ताकत है।
  • नीति आयोग ने केवल योजनाएँ नहीं बनाई, बल्कि उन्हें ज़मीनी स्तर तक पहुँचाया है।

जब आप लोगों में निवेश करते हैं, तो आप सिर्फ़ बेहतर अर्थव्यवस्था नहीं बल्कि एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण करते हैं।

 

What do you think?

विचारों के इतिहास की नई पद्धति : स्किनर

नवीन लोक प्रशासन (NPA) NPA का उद्भव एवं विकास