
लेख Provincialising International Relations through a reading of Dharma अंतरराष्ट्रीयसंबंधों (IR) की “धर्मनिरपेक्षविश्व–दृष्टि” कोचुनौतीदेताहैऔरभारतीयदार्शनिकपरंपरामेंनिहित “धर्म“कीअवधारणाकेमाध्यमसेअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंको समझने काप्रयासकरताहै।इस लेख का मुख्य तर्कहैकिपश्चिमीअंतरराष्ट्रीयसंबंध, जिसेधर्मनिरपेक्षमाना जाता है वह मूल रूप से यहूदी–ईसाईपरंपराओंपरआधारितहैं, जोसमय, व्यक्ति–परकता (Self) औरसंप्रभुराष्ट्रकीअवधारणाओंद्वारा इसकीसीमाएँनिर्धारितकरतीहैं।यह लेखपश्चिमीढांचेकोचुनौतीदेनेकेलिए “महाभारत“केधर्मकीअवधारणाकाउपयोगकरताहै, जोमानवअस्तित्वकीबहुआयामीताकोस्वीकारकरताहै।
अंतरराष्ट्रीयसंबंधों का केंद्र यूरोप है
दिपेशचक्रवर्ती (2000) अपने लेख Provincializing Europeमें मौजूदा अंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकोएकयूरोपीय–संकेन्द्रितअनुशासनमानतेहैं।चक्रवर्तीका तर्कहैकिपश्चिमीअवधारणाएँअन्यसंस्कृतियोंकीऐतिहासिकऔरराजनीतिकवास्तविकताओंकोपूरीतरहसेव्यक्तकरनेमेंअक्षमहैं।क्युकी यह अंतरराष्ट्रीयसंबंधोंको पश्चिमी अवधारणाऔरपश्चिमीसमयबोध (Linear Time) कोप्राथमिकतादेता है, जोकिधर्मकीभारतीयअवधारणासेभिन्नहै। इसी को आगे बढ़ते हुए नवनीता बेहरा और जोर्गियो शानी ने अंतरराष्ट्रीयसंबंधोंको धर्म की आधारणा के माध्यम से समझने का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान किया है।
अंतरराष्ट्रीयसंबंधोंमेंधर्मकीअवधारणा
नवनीता बेहरा और जोर्गियो शानी कातर्कहैकिधर्मकेनैतिकऔरसामाजिकसिद्धांतअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकीधर्मनिरपेक्षताकोचुनौतीदेतेहैं।धर्मकीसमावेशीदृष्टिसेअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंमेंअधिकविविधता(Pluralism) लाईजासकतीहै।
- 1.
समयकीविविधता (Heterotemporality):धर्ममेंकालऔरकर्मकेमाध्यमसेसमयकोविविधताओंमेंदेखाजाताहै, जिससेअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंमेंविभिन्नऐतिहासिकऔरसांस्कृतिकदृष्टिकोणोंकोस्थानमिलसकताहै।
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संबंधोंकीप्राथमिकता (Relationality): धर्मकेअनुसार, संबंधइकाइयों (States) सेपूर्ववर्तीहोतेहैं।यहदृष्टिकोणIR मेंएकतरफाराष्ट्र–केंद्रितदृष्टिकोचुनौतीदेताहै।
धर्मक्या है?
• भारतीयदर्शनमेंधर्मएककेंद्रीयअवधारणाहै, जोकेवलधार्मिकतातकसीमितनहींहै, बल्कियहएकव्यापकनैतिक, सामाजिकऔरलौकिकव्यवस्थाकोदर्शाताहै।धर्मकाशाब्दिकअर्थहै – “धारणकरना“, “संरक्षणकरना“।धर्मकीअवधारणामेंआत्मा (Self) औरअन्य (Other) केबीचस्पष्टभेदनहींहोता, बल्कियहसभीजीवोंऔरब्रह्मांडकेबीचपारस्परिकसंबंधकोस्वीकारकरताहै।
• महाभारतमेंधर्मकीभूमिका: महाभारतमेंधर्मकोएकनैतिकव्यवस्थाकेरूपमेंप्रस्तुतकियागयाहै, जोव्यक्तियोंऔरसमाजकीभलाईसुनिश्चितकरताहै।लेखमेंमहाभारतकीइसपंक्तिकोउद्धृतकियागयाहै:
“सर्वभूतानुकम्पीयःसर्वभूतार्जवव्रतः।सर्वभूतात्मभूतश्चसवैधर्मेणयुज्यते॥“
• (अनुवाद: जोसभीप्राणियोंकेप्रतिकरुणाशीलहै, सभीकेप्रतिसरलऔरईमानदारहै, औरसभीकोअपनेसमानमानताहै, वहीव्यक्तिधर्मकापालनकरताहै।)
धर्मनिरपेक्षअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकीआलोचना
• नवनीता बेहरा और जोर्गियो शानी के अनुसार,अंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकीमुख्यअवधारणाएँ;समय, आत्म–परकता (Selfhood), व्यवस्था(Order), औरसंप्रभुराष्ट्र–पश्चिमीईसाईधर्मशास्त्रसेउत्पन्नहुईहैं।
• समय (Time):पश्चिमीIR मेंसमयकोरैखिक (Linear) मानाजाताहै, जोकि Newtonian भौतिकीसेप्रभावितहै।इसमेंसमयएकसीधीरेखामेंचलताहैऔरइसकाएकस्पष्टआरंभऔरअंतहोताहै।इसकेविपरीत, धर्ममेंसमयकीअवधारणाचक्रीय(Cyclic) है।
महाभारतकेअनुसार:
“निश्चितंकालनानात्वमनादिनिधनंचयत्।कीर्तितंयत्पुरस्तान्मेसूतेयच्चात्तिचप्रजाः॥“
(अनुवाद: समयकीनतोकोईशुरुआतहैऔरनहीकोईअंत।यहसृजनऔरसंहारदोनोंकरताहै।)
• आत्म (Self) औरअन्य (Other): पश्चिमीदर्शनमेंव्यक्तिकोस्वतंत्रऔरस्वायत्तमानाजाताहै।इसकेविपरीत, धर्ममेंआत्मऔरअन्यकेबीचकोईस्पष्टविभाजननहींहै।व्यक्तिकीपहचानअन्यकेसाथसंबंधोंकेमाध्यमसेपरिभाषितहोतीहै।
• संप्रभुता (Sovereignty):पश्चिमीIR मेंसंप्रभुराज्य (Sovereign State) कोसर्वोपरिमानाजाताहै।इसकेविपरीत, धर्मराज्यकोसमाजकेकल्याणकेलिएउत्तरदायीमानताहै।राज्यकीशक्तिपरधर्मनैतिकसीमाएँनिर्धारितकरताहै।
निष्कर्ष
अंत: नवनीता बेहरा और जोर्गियो शानी का निष्कर्षहैकिधर्मकीअवधारणाअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकेधर्मनिरपेक्षऔरपश्चिम–केंद्रितस्वरूपकोचुनौतीदेतीहै।धर्मकेमाध्यमसेएकबहु–आयामीदृष्टिकोणविकसितकियाजासकताहै, जिसमेंविविधसंस्कृतियोंऔरसमयअवधारणाओंकोसमाहितकियाजासकताहै।पश्चिमीIR मेंसमावेशीदृष्टिकोणलानेकेलिएधर्मजैसीप्राचीनभारतीयअवधारणाओंकोगंभीरतासेअपनानेकीआवश्यकताहै।इससेअंतरराष्ट्रीयसंबंधोंकीसमझकोनकेवलव्यापककियाजासकताहै, बल्किमानवताकीवास्तविकविविधताकोभीमान्यतादीजासकतीहै।