in

The India’s Way: डॉ. एस. जयशंकर

“The India Way: Strategies for an Uncertain World” पुस्तक के लेखक डॉ. एस. जयशंकर, जो भारत के वर्तमान विदेश मंत्री हैं, ने इस पुस्तक में भारत की बदलती विदेश नीति और वैश्विक परिदृश्य में देश की स्थिति को स्पष्ट किया है। यह पुस्तक भारत के विदेश नीति के दृष्टिकोण को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो तेजी से बदलती और बहु-ध्रुवीय दुनिया में भारत की भूमिका को रेखांकित करती है।

पुस्तक का सार:

The India Way” का मुख्य विषय भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं और वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी विदेश नीति को कैसे तैयार किया जा रहा है, इस पर आधारित है। डॉ. जयशंकर भारत की विदेश नीति के विकास, उसके सिद्धांतों और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका के बारे में बात करते हैं। यहां पुस्तक के मुख्य विचार दिए गए हैं:

1. रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)

  • मुख्य विचार: भारत की विदेश नीति का केंद्रीय सिद्धांत रणनीतिक स्वायत्तता है, जिसका अर्थ है कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, बिना किसी बाहरी शक्ति के दबाव में आए।
  • भारत अपनी स्वतंत्रता बनाए रखते हुए, वैश्विक ताकतों के साथ साझेदारी विकसित करता है और अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप दुनिया के साथ संबंध बनाता है।

2. भारत की विदेश नीति का विकास

  • डॉ. जयशंकर ने भारत की विदेश नीति के विकास को स्पष्ट किया है, जो नेहरूवादी गैर-आवश्यकता (Non-Alignment) से लेकर आज की प्रागmatic और सक्रिय नीति तक का सफर तय कर चुकी है।
  • अब गैर-आवश्यकता की जगह बहु-आवश्यकता (Multi-alignment) ने ले ली है, जिसमें भारत विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर सहयोग करता है, न कि किसी खास राजनीतिक या सैन्य गुट के साथ।

3. शक्ति और सुरक्षा (Power and Security)

  • जयशंकर इस बात पर जोर देते हैं कि भारत की विदेश नीति सीधे तौर पर उसके सुरक्षा और रक्षा से जुड़ी हुई है, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के संदर्भ में।
  • भारत अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी रणनीतिक साझेदारियों को भी बढ़ावा दे रहा है, जबकि यह सुनिश्चित करता है कि उसकी स्वतंत्रता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

4. चीन का तत्व (The China Factor)

  • भारत और चीन के रिश्ते पुस्तक के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गठन करते हैं। जयशंकर इसे सहयोग और प्रतिस्पर्धा के बीच की जटिलता के रूप में देखते हैं।
  • भारत चीन के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक मुद्दों पर सहयोग करता है, लेकिन सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के मामलों में सतर्क रहता है।

5. क्षेत्रीय और वैश्विक नेतृत्व (Regional and Global Leadership)

  • भारत का वैश्विक नेतृत्व बढ़ रहा है। पुस्तक में यह बताया गया है कि भारत अब संयुक्त राष्ट्र, BRICS, G20, और शांघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसी वैश्विक संस्थाओं में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में उभर रहा है।
  • भारत वैश्विक दक्षिण (Global South) का नेतृत्व कर रहा है, और विकासशील देशों के मुद्दों को महत्वपूर्ण मंचों पर उठा रहा है।

6. सॉफ़्ट पावर और कूटनीति (Soft Power and Diplomacy)

  • डॉ. जयशंकर भारत की सॉफ़्ट पावर को भी महत्वपूर्ण मानते हैं—भारत का लोकतांत्रिक मूल्य, सांस्कृतिक प्रभाव और भारतीय प्रवासी, जो कूटनीतिक दृष्टिकोण से भारत की विदेश नीति में सहायक होते हैं।
  • भारतीय प्रवासी को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जाता है, जो भारत के वैश्विक उद्देश्यों और उसकी कूटनीतिक शक्ति को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

7. आर्थिक कूटनीति (Economic Diplomacy)

  • जयशंकर ने भारत की आर्थिक कूटनीति को भी प्रमुखता से उठाया है, जिसमें भारत का वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण, वाणिज्यिक साझेदारियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भूमिका को प्रमुख स्थान दिया गया है।
  • भारत अपने आर्थिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है और वैश्विक व्यापार के संदर्भ में अपने संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा है।

8. बहुपक्षीयता और वैश्विक शासन (Multilateralism and Global Governance)

  • भारत बहुपक्षीयता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखते हुए वैश्विक शासन में सुधार की आवश्यकता पर बल देता है। विशेष रूप से, भारत वैश्विक संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सुधार की मांग करता है ताकि उभरती शक्तियों को भी समान रूप से प्रभावी भूमिका मिल सके।

9. इंडो-पैसिफिक और क्वाड (Indo-Pacific and the Quad)

  • भारत का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और क्वाड में बढ़ता हुआ भूमिका भी पुस्तक के महत्वपूर्ण पहलुओं में से है। क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत) क्षेत्रीय सुरक्षा और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।

10. राष्ट्रवाद और आक्रामकता (Nationalism and Assertiveness)

  • पुस्तक में यह भी बताया गया है कि भारत का बढ़ता हुआ राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय गौरव उसकी विदेश नीति को आक्रामक और आत्मनिर्भर बनाता है। इस राष्ट्रीय आत्मविश्वास के साथ भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका और हितों का बचाव कर रहा है।

“The India Way” भारत की विदेश नीति और उसकी वैश्विक भूमिका का एक गहरा विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण, सुरक्षा प्राथमिकताओं, आर्थिक नीतियों और वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। यह उन पाठकों के लिए आदर्श है जो भारत की विदेश नीति और उसकी वैश्विक स्थिति के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।

This post was created with our nice and easy submission form. Create your post!

What do you think?

मोदी 3.0 और भारत की विदेश नीति

शक्ति (power) : Different perceptive