What is rational is actual; and what is actual is rational./ जो तर्कसंगत (rational) है, वह वास्तविक (actual) है; और जो वास्तविक है, वह तर्कसंगत है।
यह वाक्य जॉर्ज विल्हेम फ्रेडरिक हेगेल (Georg Wilhelm Friedrich Hegel) का है, जो एक जर्मन दार्शनिक थे। यह कथन उनकी कृति “Philosophy of Right” (न्याय की दर्शनशास्त्र) से लिया गया है।
हेगेल (Hegel) अपने लेखन में दो जर्मन शब्दों का प्रयोग किया हैं:
- Wirklichkeit = “Actuality” (वास्तविकता)
- Realität = “Reality” (सिर्फ अस्तित्व)
हेगेल का आशय क्या है?
Actual का अर्थ सिर्फ “जो मौजूद है” वह नहीं है बल्कि हेगेल के अनुसार, “actual” (वास्तविक) का मतलब है, जो किसी तर्कसंगत विचार या उद्देश्य की पूर्ति करता है, जो स्व-विकसित (self-developing) हो और अपने सार के अनुरूप हो।
Rational का अर्थ है — तर्क द्वारा समझने योग्य है। जो तार्किक संरचना रखता है और विकासशील प्रक्रिया के अनुसार चलता है।
- हेगेल के लिए, जो चीज़ केवल है, वह काफी नहीं है। बल्कि जो चीज़ अपने उद्देश्य को पूरा करती है, वही सच में “वास्तविक” (Wirklich) होती है।
- हेगेल का तर्क है कि तर्कसंगतता वास्तविक में साकार होती है, और जो वास्तव में मौजूद है वह तर्क की अभिव्यक्ति है। इसका मतलब यह है कि दुनिया केवल घटनाओं का एक यादृच्छिक संग्रह नहीं है, बल्कि अंतर्निहित तर्कसंगत सिद्धांतों द्वारा संरचित है।
उदाहरण
मान लीजिए एक सरकार है। अगर वह सिर्फ मौजूद है, तो वह “existent” है। लेकिन अगर वह जनहित में, न्यायपूर्ण और तार्किक व्यवस्था के अनुसार कार्य कर रही है, तो वह “actual” है अर्थात हेगेल के अर्थ में वास्तविक है।
अंत: हर मौजूद चीज “वास्तविक” नहीं होती है बल्कि केवल वही चीज वास्तविक है, जो अपने तर्कसंगत सार को व्यक्त करती है।
हेगेल का यह कथन एक दार्शनिक दावा है कि दुनिया में जो सच्चे अर्थ में “विकसित और उद्देश्यपूर्ण” है, वह ही वास्तव में “वास्तविक” है, न कि हर वह चीज जो केवल मौजूद हो।
हेगेल का इतिहास दर्शन
- इतिहास केवल घटनाओं की श्रृंखला नहीं है, बल्कि Absolute Spirit के आत्म-बोध की प्रक्रिया है।
- राष्ट्र, संस्कृति, और ऐतिहासिक महानायक Absolute Spirit के वाहक होते हैं।
- इतिहास के चरण: ओरिएंटल → यूनानी → रोमन → जर्मनिक
हेगेल की मुख्य अवधारणाएँ
- ब्रह्मांड का तर्कसंगत और व्यवस्थित स्वरूप: हेगेल मानते थे कि ब्रह्मांड “लोगोस” (Logos – तर्क या कारण) पर आधारित है, और इसे मनुष्य अपने सर्वोच्च बौद्धिक गुणों (तर्क और अंतर्ज्ञान) के माध्यम से समझ सकता है।
- कांत और हेगेल के बीच अंतर: इमैनुअल कांत ने कहा था कि हम “वस्तु अपने-आप में” (noumenon) को नहीं जान सकते, बल्कि केवल उसे जैसा हमें अनुभव होता है (phenomenal world)। लेकिन हेगेल ने तर्क दिया कि अगर हम यह जानते हैं कि कुछ चीज़ें “अज्ञेय” हैं, तो हम उन्हें जानते हैं: अतः सब कुछ जानने योग्य है।
- आत्मिक वास्तविकता (Absolute Spirit): हेगेल का मानना था कि अंतिम सत्य एक आत्मिक प्रक्रिया है, जिसे वे “Absolute Spirit” (परम आत्मा या परम चेतना) कहते हैं। यह ईश्वर, इतिहास, प्रकृति और मनुष्य के भीतर प्रकट होता है और स्वयं को जानने की प्रक्रिया में गतिशील रहता है।
हेगेल का त्रैतीय (डायलेक्टिक) सिद्धांत
- थीसिस (Thesis): कोई मौलिक स्थिति या विचार
- एंटीथीसिस (Antithesis): उस स्थिति का विरोध
- सिंथेसिस (Synthesis): दोनों के विरोध को हल करते हुए एक नई स्थिति का जन्म
अराजकता (थीसिस) → राजशाही (एंटीथीसिस) → लोकतंत्र (सिंथेसिस)
हेगेल का कला, धर्म और दर्शन में वर्गीकरण
- कला: आत्मा की इंद्रियात्मक अभिव्यक्ति
- धर्म: प्रतीकात्मक और समर्पण-आधारित आत्म-बोध
- दर्शन: Absolute Spirit की सर्वोच्च अभिव्यक्ति, जिसमें आत्मा स्वयं को पूर्ण रूप से जानती है
कला के तीन चरण:
- प्रतीकात्मक कला (Symbolic Art): अस्पष्ट विचारों को व्यक्त करना
- शास्त्रीय कला (Classical Art): रूप और आत्मा का संतुलन
- रोमांटिक कला (Romantic Art): आंतरिक आत्मा की प्रधानता, जैसे कविता
Absolute Spirit के विकास के तीन मुख्य भाग
- लॉजिक (Logic): विचारों की उत्पत्ति और तर्कात्मक संरचना
- प्रकृति दर्शन (Philosophy of Nature): आत्मा की भौतिक अभिव्यक्ति
- मानस दर्शन (Philosophy of Mind): चेतना, सामाजिक संस्थाएं और आत्मा की आत्म-साक्षात्कार की प्रक्रिया
राज्य और नैतिकता का विचार
- राज्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उच्चतम रूप है।
- व्यक्ति केवल राज्य के भीतर ही पूर्ण आत्मा बन सकता है।
- हेगेल के अनुसार संवैधानिक राजतंत्र लोकतंत्र से श्रेष्ठ है क्योंकि उसमें सार्वभौमिक इच्छाशक्ति कार्यान्वित होती है।