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Zigzag of Politics/ज़ीग-ज़ैग पॉलिटिक्स

पुस्तक-The Examined Life – रॉबर्ट नोज़िक

 

Zigzag of Politics की अवधारणा प्रसिद्ध दार्शनिक रॉबर्ट नोज़िक (Robert Nozick) के निबंध “The Zigzag of Politics” (पुस्तक-The Examined Life) से आती है। इसमें नोज़िक ने अपनी पूर्ववर्ती शुद्ध लिबर्टेरियन (स्वतंत्रतावादी) विचारधारा से आगे बढ़कर राजनीति के एक और अधिक समावेशी व मानवीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है।

Zigzag of Politics क्या है?

“Zigzag” का अर्थ यहाँ राजनीतिक सोच और दृष्टिकोणों में परिवर्तन या लचीलापन है। ज़िगज़ैग एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें विचार, नीतियाँ और निर्णय अक्सर एक सीधी रेखा में नहीं चलते। इसके बजाय, यह विभिन्न मोड़ों और दिशा परिवर्तनों के साथ आगे बढ़ता है।

  • Zigzag एक बौद्धिक स्वीकृति है कि विचारधाराएँ अक्सर पूर्ण नहीं होतीं। उन्हें अनुभव, बदलाव और संदर्भ के अनुसार ढलना होता है। इसलिए हमें राजनीति को केवल नियमों और करों की व्यवस्था न मानकर एक सांस्कृतिक और नैतिक मंच समझना चाहिए।
  • राजनीति में विचारों का विकास और परिवर्तन होता है। कभी-कभी एक विचार जो पहले लोकप्रिय था, वह बाद में अप्रचलित हो सकता है। यह ज़िगज़ैग की तरह है, जहाँ विचार एक दिशा में बढ़ते हैं और फिर अचानक बदल जाते हैं।
  • राजनीति पर समाज और संस्कृति का गहरा प्रभाव होता है। जैसे-जैसे समाज के विचार बदलते हैं, राजनीतिक नीतियाँ भी बदलती हैं। यह प्रक्रिया ज़िगज़ैग की तरह होती है, जहाँ एक दिशा में बढ़ने के बाद अचानक मोड़ आता है।
  • विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष भी ज़िगज़ैग को प्रभावित करता है। एक दल की नीति को दूसरे दल द्वारा चुनौती दी जा सकती है, जिससे राजनीतिक दिशा में बदलाव आता है।
  • जनता की राय और प्रतिक्रिया भी राजनीति के ज़िगज़ैग को प्रभावित करती है। जब जनता किसी नीति के खिलाफ होती है, तो राजनीतिक नेता अक्सर अपनी नीतियों में बदलाव करते हैं।
  • आर्थिक स्थिति भी राजनीति के ज़िगज़ैग को प्रभावित करती है। जब अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव होता है, तो राजनीतिक निर्णय भी बदलते हैं।

केन्द्रीय विचार

  1. राजनीति केवल सत्ता या नीतियों का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक बंधनों, साझा मूल्यों और सार्वजनिक समर्पण (public sacrament) की भी अभिव्यक्ति है।

नोज़िक कहते हैं कि “राजनीति एक मंदिर की तरह है, जिसमें हम अपने सामाजिक जुड़ाव और एकता को प्रतीकात्मक रूप से अभिव्यक्त करते हैं।”

  1. लिबर्टेरियन विचारधारा, जिसमें सरकार का हस्तक्षेप न्यूनतम हो और लोग अपनी इच्छानुसार दान करें, वह यह नहीं दर्शाती कि हम समाज के रूप में किसी चीज़ को कितना “मूल्यवान” मानते हैं।
  2. उन्होंने माना कि केवल व्यक्तिगत पसंद से नहीं, कभी-कभी समाज को पूरे सामूहिक स्वर में बोलना पड़ता है, ताकि यह दर्शा सकें कि हम किस बात को सामाजिक रूप से महत्व देते हैं, जैसे कि ज़रूरतमंदों की मदद करना।

आर्थिक स्थिति और ज़िगज़ैग राजनीतिक का सम्बन्ध

  • आर्थिक स्थिति का राजनीतिक ज़िगज़ैग पर गहरा प्रभाव होता है। जब आर्थिक स्थिति खराब होती है, तो सरकारें अक्सर अपनी नीतियों में बदलाव करती हैं। उदाहरण के लिए, आर्थिक मंदी के दौरान, सरकारें रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए नई योजनाएँ लागू कर सकती हैं। यह एक ज़िगज़ैग की तरह होता है, जहाँ राजनीतिक दिशा अचानक बदल जाती है।
  • आर्थिक संकट के समय, जनता की असंतोष बढ़ सकता है। जब लोग अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित होते हैं, तो वे सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। इस प्रतिक्रिया के कारण राजनीतिक दल अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
  • आर्थिक समस्याएँ अक्सर सामाजिक मुद्दों को भी जन्म देती हैं। जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति बिगड़ती है, सामाजिक असमानता और अन्य मुद्दे भी सामने आते हैं। ये मुद्दे राजनीतिक चर्चा का हिस्सा बन जाते हैं और नीतियों में बदलाव का कारण बनते हैं।

नोज़िक के दृष्टिकोण में बदलाव (Zigzag)

रॉबर्ट नोज़िक ने कठोर लिबर्टेरियन से अधिक सामाजिक-संवेदनशील चिन्तक होने का सफ़र तय किया है। रॉबर्ट नोज़िक के पहले के विचार उनकी प्रसिद्ध पुस्तक Anarchy, State, and Utopia (1974) में मिलते हैं। यह पुस्तक क्लासिकल लिबर्टेरियन दर्शन की आधारशिला मानी जाती है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और सरकार की न्यूनतम भूमिका पर ज़ोर देती है।

  1. सरकार की भूमिका को लेकर परिवर्तन
पहले (Anarchy, State and Utopia, 1974)बाद में (The Examined Life, Zigzag of Politics, 1989)
सरकार का काम केवल तीन चीज़ों तक सीमित होना चाहिए: व्यक्तिगत सुरक्षा (protection from force), संपत्ति की रक्षा (protection of property), अनुबंधों को लागू करना (enforcement of contracts)

❝ “Any state more extensive violates people’s rights.” — Nozick

सरकार को सामाजिक भावनाओं और नैतिक मूल्यों का प्रतीक बनकर कार्य करना चाहिए।
कर वसूली को एक प्रकार की “जबरन श्रम” (forced labor) कहा।कुछ सामाजिक कार्यक्रमों में सार्वजनिक भागीदारी को मान्यता देने की ज़रूरत मानी।

 

  1. निजता बनाम सामाजिक एकता
  • पहले: यदि कोई व्यक्ति किसी सामाजिक परियोजना से सहमत नहीं है, तो उसे कर नहीं देना चाहिए- उसे निजी इच्छा से दान देना चाहिए।
  • बाद में: कुछ सामाजिक कार्यों में समाज को एकजुट स्वर में बोलना पड़ता है- यह सामूहिक नैतिकता की अभिव्यक्ति है।
  1. व्यक्तिवाद बनाम सामुदायिक प्रतीकवाद
  • पहले: व्यक्ति अपने व्यक्तिगत निर्णयों के लिए पूर्ण स्वतंत्र है– समाज उसके निर्णयों पर हावी नहीं हो सकता।
  • बाद में: समाज को कभी-कभी कुछ मुद्दों पर सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण बताना होता है, ताकि वह “मानव गरिमा और सहानुभूति” को सार्वजनिक रूप से मान्यता दे सके।

 

स्वामित्व अधिकार (Entitlement Theory of Justice) का विचार

नोज़िक का “Entitlement Theory” तीन सिद्धांतों पर आधारित है:-

  1. Justice in Acquisition – अगर कोई चीज़ बिना किसी अन्य के अधिकार को तोड़े, सही तरीके से अर्जित की गई है तो वह वैध है।
  2. Justice in Transfer – अगर कोई संपत्ति वैध तरीके से किसी से किसी को ट्रांसफर हुई है, तो वह भी वैध है।
  3. Rectification of Injustice – यदि किसी संपत्ति पर अधिकार गलत तरीके से बना है, तो उसे सुधारा जाना चाहिए।

कोई भी पुनर्वितरण (redistribution) सरकार द्वारा, बिना सहमति के, अन्यायपूर्ण है।

  • नोज़िक जॉन रॉल्स के “Difference Principle” के आलोचक थे, जो कहता है कि असमानता तब तक सही है जब तक वह सबसे कमज़ोर को फायदा दे।
  • नोज़िक मानते थे कि इस तरह की असमानता सुधार की कोशिशें व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन हैं।

निष्कर्ष

Zigzag of Politics एक आत्मनिरीक्षण है, जिसमे कैसे एक कठोर राजनीतिक विचारधारा को मानवीय गरिमा, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक प्रतीकवाद के साथ संतुलित किया जा सकता है। यह राजनीति को ज़्यादा जीवंत और संवेदनशील बनाने की एक कोशिश है। यह न केवल विचारों और नीतियों में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि समाज के समग्र विकास को भी प्रतिबिंबित करता है।

 

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