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SIPRI रिपोर्ट 2025: भारत का परमाणु शस्त्रागार

2025 में भारत का परमाणु शस्त्रागार

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने 16 जून 2025 को अपनी ईयरबुक 2025 जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, सभी नौ परमाणु-संपन्न देश अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान की तुलना में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में बढ़त बना ली है और साथ ही मिसाइल प्रणालियों व डिलीवरी क्षमताओं में भी उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे उसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता और सशक्त हुई है।

विश्व परमाणु शक्तियों के आंकड़े  जनवरी 2025

देशतैनात वारहेड्स (Deployed)संग्रहीत वारहेड्स (Stored)कुल सैन्य भंडार (Military Stockpile)सेवानिवृत्त वारहेड्स (Retired)कुल अनुमानित संख्या (Total Inventory)
अमेरिका1,7701,9303,7001,4775,177
रूस1,7182,5914,3091,1505,459
यूके120105225225
फ्रांस28010290290
चीन24576600600
भारत180180180
पाकिस्तान170170170
उत्तर कोरिया505050
इज़राइल909090
कुल योग3,9125,7029,6142,62712,241

वैश्विक परमाणु प्रवृत्तियाँ (2025)

  • कुल परमाणु हथियार: 12,241
  • सैन्य भंडार (सक्रिय/संभावित): 9,614
  • तैनात हथियार: 3,912
  • उच्च सतर्कता (बैलिस्टिक मिसाइलों पर): लगभग 2,100, जिनमें अधिकांश अमेरिका और रूस के पास हैं।
  • जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 संग्रहीत परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास लगभग 170।
  • चीन के पास जनवरी 2025 तक 600 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 24 या तो तैनात हैं या परिचालन बलों के साथ मिसाइलों/बेस पर स्थित हैं।

वैश्विक परमाणु परिदृश्य

  • सभी नौ परमाणु-संपन्न देश वर्तमान में अपने परमाणु शस्त्रागार का उन्नयन कर रहे हैं और नई हथियार प्रणालियाँ जोड़ रहे हैं।
  • SIPRI ने चेतावनी दी है कि विश्व एक नए और खतरनाक परमाणु हथियारों की होड़ में प्रवेश कर रहा है, क्योंकि हथियार नियंत्रण व्यवस्था कमजोर हो रही है।
  • जनवरी 2025 तक, वैश्विक परमाणु हथियारों की कुल अनुमानित संख्या 12,241 है।
  • इनमें से 9,614 हथियार सैन्य भंडार में हैं और उन्हें उपयोग योग्य माना जाता है।
  • लगभग 3,912 हथियार मिसाइलों और विमानों पर तैनात हैं।
  • इनमें से लगभग 2,100 हथियार उच्च परिचालन सतर्कता (high operational alert) पर हैं, जिनमें से अधिकांश अमेरिका और रूस में हैं।
  • शीत युद्ध के बाद परमाणु हथियारों में आई गिरावट अब उलट रही है क्योंकि निरस्त्रीकरण की गति धीमी हो गई है।
  • अमेरिका और रूस के बीच न्यू START संधि फरवरी 2026 में समाप्त होने वाली है, और इसके स्थान पर अभी तक कोई नया समझौता नहीं हुआ है।
  • चीन हथियार नियंत्रण वार्ताओं में शामिल होने को तैयार नहीं है, जिससे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और जटिल हो रहा है।
  • उभरती हुई तकनीकें जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली पारंपरिक परमाणु प्रतिरोधक सिद्धांतों को अस्थिर कर रही हैं।

भारत की परमाणु स्थिति

  • जनवरी 2025 तक, भारत के पास अनुमानित 180 परमाणु हथियार हैं, जो 2024 में 172 थे।
  • SIPRI के अनुसार, यह संख्या पाकिस्तान के 170 परमाणु हथियारों से अधिक है, जिससे भारत को रणनीतिक बढ़त प्राप्त हुई है।

मिसाइल प्रौद्योगिकी और डिलीवरी क्षमताएं

  • भारत कैनिस्टर युक्त मिसाइल प्रणालियों का विकास कर रहा है, जिनमें परमाणु हथियार पहले से ही सीलबंद कंटेनरों में लगे रहते हैं, जिससे उन्हें स्टोर और ट्रांसपोर्ट करना अधिक सुरक्षित और त्वरित हो जाता है।
  • यदि भारत ऐसे मिसाइलों को पूरी तरह से तैयार स्थिति (warhead-mated posture) में तैनात करता है, तो यह तेजी से लॉन्च की तैयारी और सशक्त प्रतिरोधक लचीलापन की ओर संकेत होगा।
  • यह बदलाव भारत की पारंपरिक “de-alerted” नीति से दूर जाने की संभावना को दर्शाता है, जिसमें परमाणु हथियार और डिलीवरी सिस्टम अलग-अलग रखे जाते हैं।
  • SIPRI के अनुसार, यह भी संभावना है कि भारत जल्द ही कुछ मिसाइलों में MIRVs (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) शामिल कर सकता है।
  • MIRVs की मदद से एक ही मिसाइल अलग-अलग लक्ष्यों पर कई परमाणु हथियार गिरा सकती है, जिससे भारत की स्ट्राइक क्षमता और first-strike से बचाव की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएंगी।

परिपक्व होता परमाणु त्रिक (Nuclear Triad)

भारत का परमाणु प्रतिरोधक ढांचा लगातार विकसित हो रहा है और इसका त्रिक (Triad) अब अधिक संतुलित और सशक्त होता जा रहा है, जिसमें शामिल हैं:

  • भूमि आधारित बैलिस्टिक मिसाइलें
  • हवाई माध्यम से डिलीवर किए जाने वाले परमाणु हथियार
  • परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBNs)

भारत अब केवल पाकिस्तान पर केंद्रित नहीं है; वह लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियाँ भी विकसित कर रहा है ताकि चीन के बढ़ते परमाणु शस्त्रागार के प्रति रणनीतिक प्रतिरोधक बनाए रखा जा सके।

पाकिस्तान की परमाणु नीति और रणनीतिक जोखिम

  • पाकिस्तान के पास अनुमानित 170 परमाणु हथियार हैं, यह संख्या 2024 से स्थिर बनी हुई है।
  • भले ही संख्या स्थिर है, लेकिन पाकिस्तान नई डिलीवरी प्रणालियाँ विकसित कर रहा है और फिसाइल पदार्थ (fissile material) का उत्पादन कर रहा है, जिससे उसके विस्तार के प्रयास स्पष्ट होते हैं।
  • भारत के विपरीत, पाकिस्तान की “नो फर्स्ट यूज़” (NFU) नीति घोषित नहीं है, जिससे उसकी रणनीतिक अस्पष्टता बनी रहती है।
  • पाकिस्तान की रणनीति में “टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स” (TNWs) को प्रमुख स्थान प्राप्त है, जिन्हें भारत की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता के विरुद्ध उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है।
  • यह नीति अत्यधिक अस्थिरता उत्पन्न करती है, क्योंकि यह परमाणु हथियारों के उपयोग की सीमा को बहुत नीचे ले जाती है और संघर्ष में त्वरित परमाणु वृद्धि का खतरा बढ़ाती है।
  • राजनीतिक अस्थिरता, पारदर्शिता की कमी, और पूर्ववर्ती परमाणु प्रसार संबंधी कड़ियाँ पाकिस्तान को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बनाती हैं।
  • SIPRI ने 2025 की शुरुआत में हुई एक घटना का भी उल्लेख किया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच संक्षिप्त सशस्त्र संघर्ष हुआ, जो परमाणु-संबंधित सैन्य ठिकानों पर हमलों और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार के चलते परमाणु टकराव की आशंका तक पहुंच गया था।

अधिक जानकारी हेतु दिए गये लिंक पर जाये: https://www.worldnuclearreport.org/reactors.html#tab=iso;iso=RUS

अन्य प्रमुख परमाणु शक्तियों की स्थिति

संयुक्त राज्य अमेरिका

  • अमेरिका के पास लगभग 5,244 परमाणु हथियार हैं।
  • अमेरिका न्यूक्लियर ट्रायड के व्यापक आधुनिकीकरण में लगा है:
    • नए ICBMs
    • नई SSBNs
    • एयर-लॉन्च क्रूज़ मिसाइलें
  • 2024 में बजट और योजना से जुड़ी समस्याओं ने देरी और लागत में बढ़ोतरी पैदा की।
  • अमेरिका नए टैक्टिकल परमाणु हथियार भी विकसित कर रहा है, जिन्हें विशेषज्ञ अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम मानते हैं।
  • चीन के बढ़ते परमाणु शस्त्रागार के जवाब में अमेरिका पर निष्क्रिय लांचर फिर से सक्रिय करने का दबाव बढ़ रहा है।

इज़राइल

  • इज़राइल के पास अनुमानतः 80 से 90 परमाणु हथियार हैं, और वह आधिकारिक रूप से अस्पष्टता बनाए रखता है।
  • वह अपनी मिसाइल क्षमताओं और परमाणु आधारभूत संरचना को उन्नत कर रहा है।
  • ये विकास विशेष रूप से ईरान के साथ बढ़ते तनाव और यूरेनियम संवर्धन में प्रगति के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।

चीन

  • चीन के पास अब 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं, जो 2024 में 500 के करीब थे।
  • देश ने 350 से अधिक नए ICBM साइलो बनाए हैं, विशेषकर दूरदराज़ क्षेत्रों में, जिससे second-strike की क्षमता पर जोर स्पष्ट है।
  • ऐसा माना जा रहा है कि चीन अब कुछ हथियार शांति काल में भी मिसाइलों पर माउंट कर रहा है — यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांतात्मक बदलाव है।
  • यदि यही गति बनी रही, तो 2035 तक चीन के पास 1,500 हथियार हो सकते हैं, जिससे वह अमेरिका और रूस के समकक्ष आ सकता है।

फ्रांस

  • फ्रांस के पास लगभग 290 परमाणु हथियार हैं — संख्या स्थिर बनी हुई है।
  • वह तीसरी पीढ़ी की SSBNs और नई एयरलॉन्च क्रूज़ मिसाइलों में निवेश कर रहा है।
  • राष्ट्रपति मैक्रों ने EU सहयोगियों को फ्रांसीसी परमाणु सुरक्षा देने का प्रस्ताव दिया है, जो NATO में नई जटिलताएं ला सकता है।

रूस

  • रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार है — लगभग 5,880 परमाणु हथियार
  • इनमें से 2,100 हथियार उच्च परिचालन सतर्कता (high operational alert) पर हैं।
  • आधुनिकरण जारी है, लेकिन Sarmat ICBM में देरी जैसे कुछ झटके भी सामने आए हैं।
  • New START संधि की समाप्ति के बाद, रूस द्वारा खाली साइलो फिर से भरने और तैनात हथियारों की संख्या बढ़ाने की संभावना है।

उत्तर कोरिया

  • उत्तर कोरिया के पास लगभग 50 तैयार परमाणु हथियार हैं और वह 90 तक उत्पादन की क्षमता रखता है।
  • वह टैक्टिकल परमाणु हथियारों और कम दूरी की डिलीवरी प्रणालियों का सक्रिय विकास कर रहा है।
  • किम जोंग उन ने “असीमित परमाणु विस्तार” की बात कही है।
  • संकट-कालीन संचार तंत्रों की अनुपस्थिति क्षेत्र को अत्यधिक अस्थिर और गलत आकलन के प्रति संवेदनशील बनाती है।

यूनाइटेड किंगडम (UK)

  • UK के पास अनुमानित 225 परमाणु हथियार हैं, और संख्या बढ़ाने की योजना है।
  • वह चार नई SSBNs का निर्माण कर रहा है ताकि समुद्र में निरंतर प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
  • यह पहले की निःशस्त्रीकरण नीतियों से एक बदलाव को दर्शाता है।

वैश्विक अस्थिरता और समझौता संकट का समय

  • हथियार नियंत्रण ढांचों का क्षरण वैश्विक सुरक्षा को अस्थिर बना रहा है।
  • प्रमुख शक्तियों का ध्यान अब निःशस्त्रीकरण से हटकर आधुनिकीकरण और विस्तार पर है।

भारतपाकिस्तान समीकरण

  • भारत की बढ़ती संख्या और उन्नत तकनीकें उसके विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
  • कैनिस्टरयुक्त प्रणालियाँ और MIRVs संभावित रूप से तेज जवाबी रणनीति की ओर इशारा करती हैं।
  • पाकिस्तान का टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन पर जोर परमाणु टकराव की आशंका को बढ़ाता है।

भारतचीन रणनीतिक प्रतिस्पर्धा

  • चीन के परमाणु विस्तार के चलते भारत को दीर्घ दूरी की प्रणालियों में आधुनिकीकरण करना आवश्यक है।
  • भारत को अब दो मोर्चों पर परमाणु प्रतिरोधक रणनीति बनाए रखनी होगी — चीन और पाकिस्तान दोनों के विरुद्ध।

तकनीकी जोखिम और तेजी से बढ़ने वाला तनाव

  • इज़राइलईरान और भारतपाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय संघर्षों से परमाणु संघर्ष का जोखिम बढ़ता है।
  • टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का विकास और तैनाती उपयोग की सीमा कम करती है
  • AI और स्वचालित प्रणालियों का एकीकरण निर्णय लेने की समयावधि को घटाकर ग़लत आकलन की आशंका बढ़ाता है

निःशस्त्रीकरण को चुनौती

  • SIPRI के अनुसार, वैश्विक निःशस्त्रीकरण प्रयास अब नए परमाणु निर्माण की दौड़ से बाधित हो रहे हैं।
  • NPT (न्यूक्लियर नॉनप्रोलिफरेशन ट्रीटी) की विश्वसनीयता खतरे में है।

भारत की ज़िम्मेदार भूमिका

  • भारत अब भी No First Use (NFU) नीति को अपनाता है और विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक सिद्धांत को बनाए रखता है।
  • हालांकि, उसकी evolving रणनीति और नई तकनीकें दर्शाती हैं कि भारत तेज, लचीला और ज़िम्मेदार दृष्टिकोण अपना रहा है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन बना रहे।

SIPRI के बारे में (Stockholm International Peace Research Institute)

SIPRI एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान है, जो वैश्विक स्तर पर संघर्ष, शस्त्रीकरण, हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन शोध करता है।

मुख्यालय: स्टॉकहोम, स्वीडन

स्थापना वर्ष: 1966

मुख्य उद्देश्य

  • नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और आम जनता को खुले स्रोतों पर आधारित आँकड़े, विश्लेषण, और नीतिगत सिफारिशें उपलब्ध कराना।
  • अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए साक्ष्य-आधारित शोध उपलब्ध कराना।

वित्त पोषण

  • SIPRI की स्थापना स्वीडिश संसद के निर्णय द्वारा की गई थी।
  • इसे मुख्य रूप से स्वीडन सरकार के वार्षिक अनुदान से वित्तीय सहायता मिलती है।
  • इसके अतिरिक्त यह अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अनुसंधान परियोजनाओं हेतु सहयोग भी प्राप्त करता है।

SIPRI की वार्षिक Yearbook Report विश्व स्तर पर हथियारों की स्थिति और प्रवृत्तियों को समझने के लिए एक प्रामाणिक और विश्वसनीय स्रोत मानी जाती है।

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