चीन की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए भारत और जापान ने अपनी सुरक्षा साझेदारी को मज़बूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया। दोनों देशों ने संयुक्त अभ्यास, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा के मामलों पर आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला किया।
मुख्य घोषणाएँ
- सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया गया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा की बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर सहमति बनी।
- दोनों देशों ने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में शांति बनाए रखने का आह्वान किया।
साझेदारी पर ज़ोर देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत-जापान के 10 वर्षीय रोडमैप का मुख्य फोकस निवेश, नवाचार, आर्थिक सुरक्षा, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य होगा।’
उन्होंने कहा, ‘भारत और जापान की साझेदारी आपसी विश्वास पर आधारित है, हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को दर्शाती है और हमारे साझा मूल्यों और विश्वासों से आकार लेती है।’
रक्षा संबंधों पर बात करते हुए, श्री मोदी ने कहा, ‘हमने तय किया है कि रक्षा उद्योग और नवाचार के क्षेत्र में आपसी सहयोग को और मज़बूत किया जाएगा।’
‘आतंकवाद और साइबर सुरक्षा को लेकर भारत और जापान की चिंताएँ एक जैसी हैं; हमारे साझा हित रक्षा और समुद्री सुरक्षा से जुड़े हैं।’
ISRO–JAXA का सहयोग
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) मिलकर चंद्रमा मिशन (LUPEX) पर काम करेंगे।
- 2025–26 तक इस मिशन के लॉन्च होने की उम्मीद है।
- इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और संसाधनों की खोज करना है।
मोदी का जापानी कारोबारियों को संदेश
‘भारत जापानी व्यवसायों के लिए स्प्रिंगबोर्ड साबित हो सकता है’।
- मोदी ने जापानी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया।
- उन्होंने कहा कि भारत निर्माण, तकनीक, ऊर्जा और नवाचार का केंद्र बन रहा है।
- भारत को अफ्रीका और अन्य देशों तक जापानी व्यापार के लिए हब के रूप में प्रस्तुत किया।
जापान ने हरित तकनीक में निवेश बढ़ाया
- जापान ग्रीन टेक्नोलॉजी में निवेश को बढ़ा रहा है।
- जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत-जापान मिलकर हरित परियोजनाओं पर काम करेंगे।
- मोदी ने जापान के धार्मिक स्थलों का दौरा किया और वहां की संस्कृति के साथ जुड़ाव दिखाया।
- दोनों देशों ने आतंकवाद, समुद्री डकैती और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर संयुक्त रूप से काम करने पर जोर दिया।
- अफ्रीका में व्यापार के विस्तार के लिए भारत को औद्योगिक केंद्र बनाने पर चर्चा हुई।
भारत–जापान रक्षा संबंध
भारत और जापान का यह नया रक्षा संबंध केवल सैन्य सहयोग नहीं है, बल्कि यह रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी साझेदारी का भी प्रतीक है। इससे दोनों देशों की वैश्विक स्थिति मज़बूत होगी और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
- एशिया-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों और आक्रामक नीतियों के बीच भारत और जापान एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार बन रहे हैं।
- दोनों देशों का उद्देश्य सुरक्षा सहयोग मज़बूत करना और समुद्री क्षेत्र (East China Sea, South China Sea) में स्थिरता व शांति सुनिश्चित करना है।
- दोनों देश नियमित रूप से ज्वाइंट नेवल एक्सरसाइज़ (Joint Naval Exercises) करते हैं।
- सेना और वायुसेना स्तर पर भी प्रशिक्षण व सहयोग बढ़ाया जाएगा।
- साइबर सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक (Counter-Terrorism) सहयोग पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
दोनों नेताओं ने कहा कि ‘सुरक्षा केवल सैन्य ताक़त नहीं है, बल्कि यह आर्थिक स्थिरता और तकनीकी सहयोग पर भी आधारित है’।
नई व्यवस्था (New Arrangement)
- भारत और जापान ने 2014 में हुए सुरक्षा सहयोग समझौते को और व्यापक रूप दिया।
- अब यह केवल सैन्य अभ्यास तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि तकनीकी विकास, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा तक विस्तारित होगा।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्र आवाजाही और सुरक्षा बनाए रखना इसका मुख्य लक्ष्य है।
भारत – जापान संबधो का इतिहास
- भारत और जापान के बीच आदान-प्रदान की शुरुआत 6वीं शताब्दी में मानी जाती है, जब बौद्ध धर्म जापान में पहुँचा। बौद्ध धर्म के माध्यम से आई भारतीय संस्कृति का जापानी संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा, और यही कारण है कि जापानी लोग भारत के प्रति निकटता का भाव रखते हैं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, वर्ष 1949 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने टोक्यो के यूएनो चिड़ियाघर को एक भारतीय हाथी भेंट किया। इसने जापानी जनता के जीवन में आशा की किरण जगाई, जो अब तक युद्ध की हार से पूरी तरह उबर नहीं पाए थे।
- भारत और जापान ने 28 अप्रैल, 1952 को शांति संधि (Peace Treaty) पर हस्ताक्षर किए और राजनयिक संबंध स्थापित किए। यह उन शुरुआती शांति संधियों में से एक थी, जिन पर जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हस्ताक्षर किए।
- राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बने रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अवधि में भारत के लौह अयस्क (Iron Ore) ने जापान को युद्ध की तबाही से उबरने में बहुत मदद की।
- वर्ष 1957 में जापान के प्रधानमंत्री नोबुसुके किशी की भारत यात्रा के बाद, जापान ने 1958 में भारत को येन ऋण (Yen Loan) देना शुरू किया। यह जापानी सरकार द्वारा दिया गया पहला येन ऋण सहायता पैकेज था।
भारत–जापान उच्च स्तरीय राजनीतिक संबंध
- अगस्त 2000: जापान के प्रधानमंत्री योशिरो मोरी की भारत यात्रा से संबंधों को नई गति मिली। इसी दौरान उन्होंने और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘भारत-जापान वैश्विक साझेदारी’ (Global Partnership) की स्थापना की।
- अप्रैल 2005: प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर बैठकें शुरू हुईं।
- दिसंबर 2006: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जापान यात्रा के दौरान संबंधों को ‘वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी’ (Global and Strategic Partnership) तक ऊँचा उठाया गया।
- सितंबर 2014: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की आधिकारिक यात्रा की और प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मुलाकात की। संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ (Special Strategic and Global Partnership) में बदल दिया गया।
- दिसंबर 2015: शिंजो आबे भारत आए और दोनों प्रधानमंत्रियों ने ‘Japan and India Vision 2025’ जारी किया, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक और विश्व की शांति व समृद्धि के लिए साथ मिलकर काम करना था।
- नवंबर 2016 और अक्टूबर 2018: दोनों देशों ने ‘मुक्त और खुला इंडो-पैसिफिक’ (Free and Open Indo-Pacific) के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- सितंबर 2021: प्रधानमंत्री सुगा ने वाशिंगटन डी.सी. में क्वाड (Japan-Australia-India-U.S.) शिखर बैठक के दौरान मोदी से मुलाकात की।
- मार्च 2022: प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत की यात्रा की।
- 2022–2023: मोदी और किशिदा ने कई बार आपसी शिखर बैठकें कीं, जिनमें आर्थिक, रणनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा हुई।
- अक्टूबर 2024: प्रधानमंत्री इशिबा ने लाओस में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी से मुलाकात की।
सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग
- अक्टूबर 2008: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान ‘भारत–जापान सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा’ जारी की गई।
- नियमित रूप से दोनों देशों के बीच:
- विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय संवाद (2+2 Meeting)
- वार्षिक रक्षा मंत्री संवाद
- कोस्ट गार्ड-से-कोस्ट गार्ड संवाद आयोजित होते हैं।
- 9 सितंबर 2020: भारत और जापान ने Acquisition and Cross-Servicing Agreement (ACSA) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएँ एक-दूसरे को रसद और सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं।
- यह समझौता 11 जुलाई 2021 से प्रभावी हुआ।
- सितंबर 2022: दूसरी 2+2 बैठक टोक्यो में हुई।
आर्थिक संबंध
- जापान भारत के सबसे महत्वपूर्ण निवेश साझेदारों में से है।
- प्रमुख परियोजनाएँ:
- मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (जापानी वित्तीय और तकनीकी सहयोग से)।
- जापान का भारत में बुनियादी ढाँचा, स्मार्ट सिटी, औद्योगिक गलियारा (Delhi-Mumbai Industrial Corridor) और ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश।
- जापान की कंपनियाँ भारत में बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं, खासकर ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में।
- दोनों देश ग्रीन टेक्नोलॉजी, डिजिटल इनोवेशन और सप्लाई-चेन सुरक्षा पर भी सहयोग कर रहे हैं।
द्विपक्षीय संधियाँ और समझौते
- शांति संधि (1952)
- वायु सेवा समझौता (1956)
- सांस्कृतिक समझौता (1957)
- वाणिज्य समझौता (1958)
- दोहरे कराधान से बचाव हेतु अभिसमय (1960)
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग समझौता (1985)
- जापान-भारत व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (2011)
- रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के संबंध में जापान सरकार और भारत गणराज्य सरकार के बीच समझौता (2015)
- वर्गीकृत सैन्य सूचना की सुरक्षा हेतु सुरक्षा उपायों के संबंध में जापान सरकार और भारत गणराज्य सरकार के बीच समझौता (2015)
- सामाजिक सुरक्षा पर जापान और भारत गणराज्य के बीच समझौता (2016)
- परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए जापान सरकार और भारत गणराज्य सरकार के बीच समझौता (2017)
- जापान सरकार और जापान के आत्मरक्षा बलों और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के संबंध में भारत गणराज्य सरकार (2021)
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