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बेगम एजाज रसूल:संविधान सभा की पहली अल्पसंख्यक महिला

(बेगम एजाज रसूल का योगदान )

बेग़म एजाज़ रसूल कौन थीं?

बेग़म कुदसिया एजाज़ रसूल का जन्म 4 अप्रैल 1908 को अविभाजित पंजाब की एक मुस्लिम रियासत मलेरकोटला के शासक परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नवाब जुल्फिकार अली ख़ान था। कम उम्र में ही उनका विवाह उत्तर प्रदेश के एक तालुकेदार नवाब एजाज़ रसूल से हो गया।
भारत की संविधान सभा के 299 सदस्यों में 15 महिलाएं शामिल थीं। इन्हीं में से एक थीं बेग़म कुदसिया एजाज़ रसूल। वह संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्य थीं।
1930 के दशक में उन्होंने मुस्लिम लीग की सदस्यता ग्रहण की। 1950 में भारत में मुस्लिम लीग के भंग हो जाने के बाद, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं।
1952 से 1956 तक वह राज्यसभा की सदस्य रहीं। इसके बाद, 1969 से 1989 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य भी रहीं।
1969 से 1971 के बीच, उन्होंने समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रूप में कार्य किया। उनके सामाजिक कार्यों को देखते हुए, उन्हें सन् 2000 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

मुख्य विचार

अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का विरोध करते हुए उनका मानना था कि धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग करना अनुचित है। वह इसे एक “आत्मघाती हथियार” मानती थीं, जो अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से हमेशा के लिए अलग कर देगा।
उन्होंने जिन्ना के ‘अलग पाकिस्तान’ सिद्धांत को कभी नहीं स्वीकारा। वह ब्रिटिश सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की भी विरोधी थीं। उनका दृढ़ मत था कि भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश होना चाहिए, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों।
वे मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने पर्दा प्रथा के खिलाफ और शिक्षा के पक्ष में पुरज़ोर आवाज़ उठाई।
वह हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के समर्थन में थीं।

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