भारत में महिला आंदोलन का इतिहास लंबा और विविधतापूर्ण रहा है। यह आंदोलन केवल महिलाओं के अधिकारों की माँग तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने समाज, राजनीति और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को भी गहराई से प्रभावित किया है। 1970 के दशक से लेकर आज तक, महिला आंदोलन ने अपनी दिशा, रूप और प्रभाव में कई परिवर्तन देखे हैं।
महिला आंदोलन में कई तरह की अलग-अलग महिलाएँ और संगठन शामिल हैं जैसे स्वतंत्र नारीवादी संगठन, वामपंथी महिला समूह, गांधीवादी समूह, धर्म या समुदाय आधारित संगठन, और अलग-अलग पेशों से जुड़ी महिलाएँ। हालाँकि, व्यवहार में इन सबके बीच का अंतर हमेशा साफ नहीं दिखता।
एक ओर देश में बढ़ते स्वदेशी आंदोलनों का असर था, तो दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष और महिलाओं की स्थिति पर आई रिपोर्ट ने भारत में महिला आंदोलन की ज़रूरत को और गहराई से महसूस करवाया। महिलाओं के संघर्ष लगातार जारी रहे, और 1970 से लेकर 1980-90 के दशकों तक कई नए समूह और संगठन बनते गए।
नए संगठनों का गठन
1974 में हैदराबाद में ‘प्रगतिशील महिला संगठन’ (Progressive Organization of Women):
महाराष्ट्र में, 1975 में ‘पुरोगामी महिला संगठन’:
स्वायत्त महिला संगठनों
इसी तरह भारत में स्वतंत्र (स्वायत्त) महिला संगठनों की शुरुआत हुई। ये संगठन भले ही अलग-अलग विचारधाराओं से जुड़े थे, लेकिन एक बात पर सबका मत एक था इनकी सदस्यता सिर्फ महिलाओं तक सीमित रहेगी।ऐसे माहौल में महिलाएँ खुलकर अपनी बात रख सकती थीं। चाहे मुद्दा राजनीतिक हो या पारिवारिक, उन्हें पुरुषों की निगरानी, दखल या टिप्पणी का डर नहीं रहता था। इन संगठनों ने समाज में मौजूद पुरुषसत्ता (पितृसत्ता) की गहराई से आलोचना की और उस पर गंभीर और संवेदनशील दृष्टि से विचार किया। सन् 1970 से 2000 के बीच भारत में कई स्वायत्त महिला संगठन और समूह बने।
इनमें कुछ प्रमुख संगठन थे
समय के साथ इन संगठनों ने अपनी अलग पहचान बनाई। इन मंचों ने महिलाओं को बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी बात खुलकर कहने का अवसर दिया।
पार्टी आधारित महिला संगठन (Party-Based Women’s Organizations)
सन् 1970 और 1980 के दशकों में भारत में कई राजनीतिक पार्टियों से जुड़े महिला संगठनों का विस्तार हुआ। इनमें से कुछ संगठन पार्टी से थोड़ा स्वतंत्र होकर भी काम करते हैं, लेकिन अधिकतर अपनी पार्टी की शाखा के रूप में ही जाने जाते हैं।
ये सभी संगठन समय-समय पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आंदोलन करते हैं और महिलाओं की आवाज़ उठाते हैं।
अन्य संगठन
क्रम | संगठन का नाम | स्थापना / सक्रिय वर्ष | उद्देश्य / मुख्य कार्यक्षेत्र |
1 | पिंजरा तोड़ (Pinjra Tod) | 2015 | विश्वविद्यालयों और छात्रावासों में महिलाओं पर लगाई जाने वाली असमान पाबंदियों का विरोध; महिला स्वतंत्रता और समान अधिकारों के लिए आंदोलन। |
2 | #MeToo India आंदोलन | 2018 | कार्यस्थल, मीडिया, और फिल्म जगत में यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता और न्याय की माँग; सोशल मीडिया के ज़रिए महिलाओं की आवाज़ बुलंद करना। |
3 | महिला किसान अधिकार आंदोलन (Mahila Kisan Adhikar Andolan – MKAA) | 2011 | खेती में महिलाओं की भूमिका को मान्यता दिलाना; भूमि अधिकार और कृषि नीति में महिला भागीदारी सुनिश्चित करना। |
4 | राइजिंग फ्लेम (Rising Flame) | 2017 | दिव्यांग (विकलांग) महिलाओं के अधिकारों, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व को बढ़ावा देना। |
5 | वन बिलियन राइजिंग इंडिया (One Billion Rising India) | 2013 | महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के विरोध में राष्ट्रीय और वैश्विक अभियान। |
6 | ब्रेकथ्रू इंडिया (Breakthrough India) | 2010 के बाद सक्रिय विस्तार | घरेलू हिंसा, बाल विवाह, शिक्षा और लैंगिक समानता पर सामाजिक अभियान चलाना (Bell Bajao, Dakhal Do जैसे अभियानों से प्रसिद्ध)। |
7 | द जेंडर लैब (The Gender Lab) | 2014 | युवाओं, खासकर लड़कों में लैंगिक समानता की समझ विकसित करना और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाना। |
8 | फेमिनिज़्म इन इंडिया (Feminism in India – FII) | 2013 | ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो जेंडर समानता, LGBTQ+, और महिला अधिकारों पर शिक्षा, शोध और जनजागरूकता फैलाता है। |
9 | Sayfty (सेफ्टी) | 2014 | महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, और डिजिटल सुरक्षा पर काम करने वाला संगठन। |
10 | SheThePeople.TV | 2013 | डिजिटल प्लेटफॉर्म जो महिलाओं की उपलब्धियों, नेतृत्व और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित है। |
11 | सखी महिला रिसोर्स सेंटर (Sakhi Women’s Resource Centre) | 2010 के बाद सक्रिय विस्तार | घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता सेवाएँ प्रदान करना। |
12 | नारी शक्ति मंच (Nari Shakti Manch) | 2012 | गरीब और ग्रामीण महिलाओं के अधिकार, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम करना। |
13 | द रेड एलीफेंट फाउंडेशन (The Red Elephant Foundation) | 2013 | कहानी कहने (Storytelling) और मीडिया के माध्यम से शांति, समानता और महिला अधिकारों को बढ़ावा देना। |
Discover more from Politics by RK: Ultimate Polity Guide for UPSC and Civil Services
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


